Thursday, March 12, 2009

देश को लुटते नहीं देख सकता: रामदेव

योग के माध्‍यम से भारत को दुनिया का अगुवा बनाने की प्रेरणा देने वाले और हर ज्‍वलंत मुद्दे पर बेबाकी से राय प्रकट करने वाले बाबा रामदेव अब राजनीति में शुचिता स्‍थापित करना चाहते हैं. इंडिया टुडे के संपादक प्रभु चावला ने आजतक के कार्यक्रम सीधी बात में योग गुरु बाबा रामदेव से बात की. बातचीत के प्रमुख अंशः
योग गुरु से राष्ट्र गुरु बने बाबा रामदेव अब चाणक्य की भूमिका भी निभाते दिखते हैं. योग की शिक्षा देते-देते क्या आप ऊब गए हैं?
राष्ट्रधर्म को भी मैं उतना ही पवित्र मानता हूं जितना धर्म को. मैं देश को अपनी मां मानता हूं. यदि ये भ्रष्ट और बेईमान राजनेता देश के साथ राजनैतिक दुराचार करते रहे तो मैं मां भारती का वह कमजोर बुजदिल पुत्र नहीं कि मां भारती का यह वैभव लुटता देखूं और मौन होकर बैठ जाऊं.

तो आप उन भ्रष्ट लोगों के साथ जाकर बैठते क्यों हैं?
मैंने कोशिश की थी कि वे सभी शायद सुधर जाएंगे.

आपने एक बार कहा था कि मुझे न वोट चाहिए, न नोट?
न मुझे सत्ता चाहिए ,न संपत्ति, न सिंहासनों का है मुझे प्रलोभन. लेकिन आज पूरा देश कह रहा है कि सौ में से निन्यानवे बेइमान हो चुके हैं. क्या देश को इसी तरह लुटते रहने दें.

लगता है कि इस बाबा के अनेक रूप हो गए हैं. कौन-सा रूप आपका असली है. अब आप चाहते हैं कि सत्ता परिवर्तन में भी शामिल रहें.
मेरा नकली रूप कभी नहीं था. मैंने अपना विराट रूप लिया है. मैं चाहता हूं कि देश का हर नागरिक समझे कि देश मेरे खून-पसीने से बना है. देश का जो बजट बनता है, वह मेरे व देशवासियों के पैसे से बनता है. पांच साल में करीब 50 लाख करोड़ रु. बेईमान लोगों के हिस्से में चला जाता है. 700 साल की गुलामी में देश को उतना नहीं लूटा विदेशियों ने.

हर नेता आपके साथ बैठता है. आप उनकी संगति में बड़े खुश दिखते हैं.
पिछले ढाई महीने में आपने किसी नेता को मेरे पास देखा क्या?

ढाई महीने से आपको लगा कि ये राजनेता गलत हैं?
सबके सब आज भी गलत नहीं हैं. आज भी उनमें से बहुत-से अच्छे लोग हैं. मैं सबको बेईमान कहूं तो यह गलत होगा.

राजनैतिक दल क्यों नहीं बना लेते अपना?
हमने 'भारत स्वाभिमान' नाम से एक संगठन बनाया है. इसका उद्देश्य हमने रखा हैः सौ फीसदी मतदान, सौ फीसदी स्वदेशी का पालन, सौ फीसदी राष्ट्रवादी चिंतन, देशभक्तों को संगठित करना, योग से भारत का निर्माण करना.

योग से क्या कनेक्शन है इसका. यह तो एक इंडस्ट्री हो गई न?
राजनीति कोई इंडस्ट्री नहीं है. राजनीति के सिंहासनों पर उनको बैठना चाहिए जिनका चरित्र राम जैसा है, कृष्ण जैसा है, सरदार पटेल जैसा है, सम्राट अशोक और विक्रमादित्य जैसा है.

आपका उद्देश्य क्या है? तख्त बदलने के मूड में हैं क्या? आप खुद तो कुछ नहीं बनेंगे?
न मुझे एमएलए बनना है, न एमपी बनना है, न मुख्यमंत्री. यह पहले थी मेरी प्रतिज्ञा, आज भी है. लेकिन भ्रष्ट और बेईमान लोगों को इस देश में राजनीति नहीं करने दूंगा. यह खुली बगावत है हमारी. मैं देशभक्त लोगों को इकट्ठा करूंगा, और उनका वोट बैंक तैयार करूंगा. अभी चार-पांच साल तक संघर्ष चलेगा. उसके बाद एक नया भारत बनेगा, एक नई व्यवस्था आएगी, एक नई आजादी आएगी, और ये भ्रष्ट व बेईमान लोग कपाल-भारती, अनुलोम-विलोम करने लगेंगे, और इनकी बुद्धि भी ठीक हो जाएगी.

आप हमेशा विवादों में रहते हैं.
यह तो विवाद का समाधान है.

आपका योग सांप्रदायिक मामलों में जुड़ गया. मलेशिया में प्रतिबंध लग गया?
भारत के मुसलमानों ने कहा है कि वे योग के खिलाफ नहीं हैं. वे अब कहने लगे हैं कि यह तो हमारे पुरखों की विद्या है. हमारे और मुसलमानों के पुरखे तो अलग नहीं हैं.

नेताओं के दिमाग में भी योग का असर डालना चाहिए.
पहले नेता शीर्षासन करते थे, तो देश ठीक रहता था, अब नेता शीर्षासन नहीं करते, उन्होंने देश का शीर्षासन करवाया हुआ है. अपने यहां पर उन आतंकवादियों को जेलों में बैठाकर बिरयानी खिला रहे हैं जिनको फांसी की सजा होनी चाहिए. अगर देश के नेता ईमानदारी से आतंकवाद को खत्म करना चाहते हैं, तो पहले अपने देश के आतंकवादियों को खत्म करें.

गहलोत साहब और येदुयुरप्पा साहब ने कहा कि पब कल्चर नहीं चलने देंगे?
इस देश के अंदर शराब को, पबों को प्रोत्साहन नहीं मिलना चाहिए. वैयक्तिक और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण को प्रोत्साहन देना चाहिए. हम कहां ले जाना चाहते हैं अपनी पीढिय़ों को? क्या शराबी बनाना चाहते हैं?

पिटाई का तो खंडन करते हैं आप.
पिटाई करने का किसी को हक नहीं है. यहां कानून तोड़ने का अधिकार किसी को नहीं है.

अब भगवा आतंकवाद भी शुरू हो गया है. प्रज्ञा सिंह वगैरह जो पकड़े गए हैं?
मैं किसी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता. जो भी आतंकी है, उसे मौत की सजा होनी चाहिए.

(सीधी बात कार्यक्रम आज तक चैनल पर रविवार रात 8.00 बजे और सोमवार दोपहर 3.30 बजे प्रसारित होता है.)


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